 सर्दियों के दिन थे. पूरा कुल्लू बर्फ में गुम. मैं बेटे को घुमाने के बहाने बाहर निकला. उसे एक नाले के पास लिटाया और नशे के अड्डे पर पहुंच गया. कई घंटे बाद भाई को वो ठंड में अकड़ा हुआ मिला. आंसू लुढ़ककर गालों पर जमे हुए. डेढ़ महीने का बच्चा. टोपी और जुराबें तक नहीं पहनी थीं. लौटा तो घर में ऐसा घमासान मचा कि शीशे, फर्नीचर और मेरा सिर- सब टूट गए.
सर्दियों के दिन थे. पूरा कुल्लू बर्फ में गुम. मैं बेटे को घुमाने के बहाने बाहर निकला. उसे एक नाले के पास लिटाया और नशे के अड्डे पर पहुंच गया. कई घंटे बाद भाई को वो ठंड में अकड़ा हुआ मिला. आंसू लुढ़ककर गालों पर जमे हुए. डेढ़ महीने का बच्चा. टोपी और जुराबें तक नहीं पहनी थीं. लौटा तो घर में ऐसा घमासान मचा कि शीशे, फर्नीचर और मेरा सिर- सब टूट गए.from Latest News हिमाचल प्रदेश News18 हिंदी https://ift.tt/2yuakYW






 

 
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