 दस्तकारी व्यवसाय पर खतरे के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं. दशहरा उत्सव को समाप्त हुए करीब एक सप्ताह हो चुका है लेकिन उनके उत्पादों की अभी तक खरीददारी नहीं हो पाई है. प्लास्टिक के बने उत्पाद भी उनके सामान पर भारी पड़ रहे हैं. कुल्लू और मंडी के हजारों परिवार इस व्यवसाय से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जुड़े हैं. सच्चाई यह है कि अब स्वयं दस्तकार भी इस व्यवसाय को छोड़कर अन्य व्यवसाय अपनाना चाहते हैं ताकि कुनबे की रोजी-रोटी का तोड़ ढूंढा जा सके. कुल्लू में 3 दर्जन के करीब कारोबारी अपने उत्पादों को बेचने आए हैं. इनमें कुल्लू व मंडी के हस्तशिल्पकार शामिल हैं.
दस्तकारी व्यवसाय पर खतरे के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं. दशहरा उत्सव को समाप्त हुए करीब एक सप्ताह हो चुका है लेकिन उनके उत्पादों की अभी तक खरीददारी नहीं हो पाई है. प्लास्टिक के बने उत्पाद भी उनके सामान पर भारी पड़ रहे हैं. कुल्लू और मंडी के हजारों परिवार इस व्यवसाय से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जुड़े हैं. सच्चाई यह है कि अब स्वयं दस्तकार भी इस व्यवसाय को छोड़कर अन्य व्यवसाय अपनाना चाहते हैं ताकि कुनबे की रोजी-रोटी का तोड़ ढूंढा जा सके. कुल्लू में 3 दर्जन के करीब कारोबारी अपने उत्पादों को बेचने आए हैं. इनमें कुल्लू व मंडी के हस्तशिल्पकार शामिल हैं.from Latest News हिमाचल प्रदेश News18 हिंदी https://ift.tt/2CPcAx0






 

 
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