तू भस्मअ धुड़ी थोड़ा नाचे, धरती न चोड़े भोले ईशरा...महासुवीं पहाड़ी के ब्रह्मखाड़ा लोकगीत के इस अंतरे का अर्थ है - भस्म से धूसरित भोले ईश्वर तू कम नाचना, क्योंकि कहीं धरती न टूट जाए...।
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Sunday, December 1, 2019
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» लोकगायक अतुल राजटा ने ब्रह्मखाड़ा लोकगीतों के संरक्षण का बीड़ा उठाया
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